संसद : 17 जुलाई से 10 अगस्त के बीच हो सकता है मानसून सत्र, सीसीए की मोहर का इंतजार

संसद सत्र साल का वो समय है जब सरकार अपनी विधायी कार्यों को पूरा करती है। इस साल संसद का मानसून सत्र 17 जुलाई से होने की उम्मीद है। सत्र 17 जुलाई से शुरू होकर 10 अगस्त तक चलेगा। जिसमें कुल 19 कार्य दिवस होंगे। हालांकि अभी इसकी आधिकारिक घोषणा के लिए सीसीपीए (कैबिनेट कमेटी ऑन पार्लियामेंट्री अफेयर्स) की मोहर का इंतजार है, जो प्रधानमंत्री के विदेश दौरे से वापस आने के बाद होने की उम्मीद है। इस सत्र में सरकार अपनी लंबित विधाई कार्यों को पूरा कराने पर जोर देगी तो वहीं विपक्ष अपनी एका दिखाते हुए बढ़ती महंगाई और केंद्रीय जांच एजेंसी को के दुरुपयोग पर सरकार को गिरने की पूरी कोशिश करेंगी।

क्या है सीसीपीए?

सीसीपीए कैबिनेट मंत्रियों की एक समिति है जिसको कैबिनेट कमेटी ऑन पार्लियामेंटी ऑफर्स कहा जाता है। यह समिति सरकार को संसद सत्र के तारीखों और उसमे रखे जाने वाले विधेयकों को लेकर सुझाव देती है। इस समिति के मोहर के बाद ही संसद सत्र के तारीखों की घोषणा होती है। राजनाथ सिंह अभी इस समिति के अध्यक्ष है। गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, संसदीय कार्य मंत्री प्रहाल्द जोशी, अर्जुन मुंडा, वीरेंद्र कुमार, किरण रिजीजू, अनुराग ठाकुर इसके स्थायी सदस्य है। संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और वी मुरलीधर विशेष आमंत्रित सदस्यों के तौर पर इस समिति में शामिल है।

नए संसद भवन मे होगा सत्र

संसद का यह मानसून सत्र नए संसद भवन मे होने की उम्मीद है।प्रधानमंत्री द्वारा नए संसद के उद्घाटन के बाद से ही उसमें शिफ्टिंग का काम जारी है। संसद भवन के कर्मचारी पुरानी संसद से नई संसद में सभी महत्वपूर्ण फाइलों और दस्तावेजो को शिफ्ट करने में लगे हुए हैं। इस बार हम संसद का सत्र ने संसद भवन में होते देखेंगे।

आप” की कोशिशो की होगी परीक्षा

संसद का आने वाला मानसून सत्र कई मायनों में खास रहने वाला है। इस मानसून सत्र विपक्षी पार्टियों की एका कि भी परीक्षा होनी है। संवैधानिक अनिवार्यता के कारण सरकार मानसून सत्र के एजेंडे में ही दिल्ली सरकार अधिनियम, 1991 में संशोधन करने वाला ये अध्यादेश को पास करने के लिए रखेगी। सुप्रीम कोर्ट की फैसले के बाद ट्रांसफर पोस्टिंग का अधिकार दिल्ली सरकार के पास आ गया था लेकिन बाद में केंद्र सरकार ने एक अध्यादेश लाकर एक अथॉरिटी बना दी जिससे ट्रांसफर पोस्टिंग का अधिकार फिर से एलजी के पास चला गया है। इस अध्यादेश के खिलाफ आप सुप्रीमो और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल विपक्षी दलों को एक करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने उद्धव ठाकरे, नीतीश कुमार, मल्लिकार्जुन खड़गे जैसे बड़े नेताओं से मदद मांग है की वो इस अध्यादेश को संसद से ना पास होने देने में उनकी सहायता करें। अब यह देखने वाली बात है की क्या आप सुप्रीमो की यह कोशिश रंग लाएगी और सभी विपक्षी दल एक होकर के सरकार को इस अध्यादेश पास करने से रोक पाएंगे या फिर सरकार एक बार फ़िर विपक्षी एकता को धता बताते हुए पास कर लेगी।

लेखक उद्देश्य ठाकुर / पोस्ट आलोक कुमार

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