देश के बड़े नेता और महाराष्ट्र के सबेसे युवा मुख्यमंत्री रहे शरद पवार की पार्टी एनसीपी राष्ट्रीयवादी कांग्रेस पार्टी आजकल रोज़ सियासी हलकों में चर्चा की हिस्सा बनी रह रही है।
हाल ही में पार्टी की 24वीं वर्षगांठ के मौके पर शरद पावर की तरफ़ से दो कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किये गए। उन्होंने अपनी बेटी सुप्रिया सुले और राज्यसभा सांसद प्रफुल्ल पटेलको कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त करते हुए उन्हें अलग अलग प्रभार सौंपा है।
अब पवार साहब ने नई नियुक्ति करते हुए महाराष्ट्र के प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे को पार्टी का राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष नियुक्त किया है। इस बाबत उन्होंने एक नियुक्ति पत्र जारी करते हुए घोषणा किया है। सुनील तटकरे को राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष के साथ ही राष्ट्रीय महासचिव पद की जिम्मेदारी भी संभालेंगे। उनकी नई नियुक्ति को पार्टी में प्रमोशन के तौर पर देखा जा रहा है। कार्यकर्ताओं में यह चर्चा है कि यह उनके काम की स्वीकार्यता है। सुनील रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र से सांसद भी हैं।
शरद पवार ने पिछले महीने सेहत और बढ़ती उम्र का हवाला देते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। लेकिन फ़िर कार्यकर्ताओं के जोर देने पर उन्होंने इस्तीफा वापस ले लिया। हालाकि उन्होंने अब पार्टी में दो कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति कर दी है। वर्तमान में शरद पवार राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल कार्यकारी अध्यक्ष है।
पवार सहाब ने दोनों नेताओं की नियुक्ति करते हुए उनके कामों का भी बंटवारा कर दिया है। एक तरफ़ जहां प्रफुल्ल पटेल को मध्यप्रदेश, गुजरात, राजस्थान, झारखंड, गोवा और राज्यसभा की जिम्मेदारी सौंप गई है। तो वहीं सुप्रिया सुले को महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब, महिला, युवा, छात्र संघ और लोकसभा का काम देखेंगी।
अभी तक प्रफुल्ल पटेल वित्तीय मामलों की जिम्मेदारी भी देख रहे थे लेकिन अब सुनील तटकरे को नया कोषाध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया है। सुप्रिया सुले को केंद्रीय चुनाव अधिकार समिति का भी अध्यक्ष बनाया गया है। जाहिर तौर पर इस मौके पर महाराष्ट्र के फैसलों में सुप्रिया सुले का दबदबा देखा जा सकता है।
सुप्रिया सुले की नियुक्ति को पवार साहब की राजनीतिक विरासत के उत्तराधिकारी के रूप में देखा जा रहा है। अभी तक सुप्रिया राष्ट्रीय राजनीति को देख रही थी और लोकसभा में पार्टी की नेता थी वहीं महाराष्ट्र में उनके भतीजे अजीत पवार पार्टी का कामकाज देख रहे थे जिन्हें सिहासी हल्का में उनका उत्तराधिकारी माना जा रहा था। हालांकि अब सुप्रिया सुले की पार्टी में नंबर दो की हैसियत के बाद उन्हें ही शरद पवार का असली राजनितिक उत्तराधिकारी माना जा रहा है।
लेखक उद्देश्य ठाकुर