पटना : पूरा बिहार इस वक्त पंचायती राज चुनाव में व्यस्त हो चुका है । चारों ओर सिर्फ पंचायत चुनाव की चर्चा है । हर जुबान पर चुनाव ही चुनाव । संयोग वश इन चर्चाओं को सुनने और उसका हिस्सा बनने का मौका लग गया । सैकड़ों लोगों से इस विषय पर बातें हुई । निचोड़ कहूं तो बहुत निराशा हुई और काफी चिंतित भी हूं कि आखिर हम सभी जा किस ओर रहे हैं ? लोगों के जुबान पर मुख्य रूप से यही चर्चा है कि :
- फलां उम्मीदवार इस बार मुखिया प्रत्याशी के रूप में 25 – 50 लाख रुपया खर्च करेगा ।
- फलां उम्मीदवार मेला में खूब जलेबी बांटेगा
- फलां उम्मीदवार वार्ड सदस्य के लिए सभी महिलाओं को साड़ी देने वाला है ।
- फलां उम्मीदवार अभी से ही खिलाना पिलाना शुरू कर दिया है । खूब खिला रहा है आजकल
- फलां उम्मीदवार डमी कैंडिडेट को 1 – 3 लाख रुपए देकर खड़ा कर रहा है ।
- फलां उम्मीदवार किसी को बैठने के लिए दस बीस हजार से 1 – 2 – 3 लाख तक ऑफर कर रहा है । रेट उसके वोट क्षमता पर निर्भर करेगा ।
‘भ्रष्टाचार चुनावी मुद्दा बनें ‘
ऐसी ढेर सारी बातें हैं जो ग्रामीण गॉसिप का मुख्य हिस्सा है आजकल । एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं मिला जो मुद्दों की बात करे । ऐसा प्रतीत होता है आम लोग भ्रष्टाचार को पूर्ण मान्यता दे चुके हैं और वे महज बहुत छोटे छोटे लालच में अपना पांच साल बेच देते है । सरकारी योजनाओं के लिए न तो पारदर्शिता के साथ लाभार्थियों का चयन होता है न ही पूरी रकम उन्हें दी जाती है ।
पशु शेड जैसे योजनाओं के बारे में लोग दबी जुबान से बताते हैं कि 50 % तक का कमीशन खोरी हो रहा है । बहुत सारे लाभुकों को तो पूर्ण देय रकम की भी जानकारी नहीं होती है । बहुत कुछ बोला और लिखा जा सकता है इन विषयों पर , परन्तु बस यही आग्रह करूंगा आम जागरूक नागरिकों से कि वे जन जागृति और मुद्दों को चुनावी मुद्दा बनाने हेतु कुछ धरातलीय प्रयत्न करें ।
ऐसे समय में समाज के हर सक्षम लोगों से मेरी कुछ अपील है कि छात्र ( जिनकी अभी कोई परीक्षा नहीं है ) , युवा , डॉक्टर , वकील , शिक्षक , प्रोफेसर , व्यापारी , पत्रकार , साहित्यकार , रंगकर्मी , चिंतक , विचारक , संगीतज्ञ आदि सब लोग 2 – 4 – 6 दिनों का समय निकालकर अपने अपने गांव जाएं और घूम घूम कर लोगों से कुछ अपील करें समस्त रिश्तेदारों और परिचितों को फोन कर या मैसेज द्वारा संदेश भेजें और निम्नलिखित बातों को ग्रामीण गॉसिप का हिस्सा बनाने में अपनी महती भूमिका निभाएं ।
- कोई भी मतदाता उम्मीदवारों द्वारा दिए जाने वाले क्षणिक प्रलोभनों को सिरे से नकारे ।
- उम्मीदवारों द्वारा फैलाए जाने वाले विभिन्न वादों ( मसलन जातिवाद , उपजतिवाद , धर्मवाद , क्षेत्रवाद , भाई – भतीजावाद आदि ) को भी नकारें
- वोट उन्हीं को दें जो सबसे योग्य और उम्दा उम्मीदवार हो , जो शिक्षित हो , समझदार हो ,ईमानदार हो , अग्रसोची हो , सहज – सरल हो चरित्रवान हो , उच्च आदर्शों वाला हो , जिनकी इंटिग्रिटी अच्छी हो । यदि ऐसा उम्मीदवार न मिले तो सब मिलकर ऐसे किसी उम्मीदवार को चुनाव मैदान में उतारें । उनका खुलकर साथ दें और उन्हें जिताएं ।
- “जीरो बजट” वाले उम्मीदवार को प्रोमोट करें , क्योंकि जो उम्मीदवार बिना पैसा खर्च किए चुनाव जीतेगा उसी से करप्शन फ्री शासन की उम्मीद भी की जा सकती है । जो चुनाव में पैसा खर्च करेगा वो जीतने के बाद आपका ही हकमारी कर अपना पैसा रिकवर ( वसूल ) करेगा ।
- उम्मीदवारों से मुद्दा आधारित सवाल करें ।
- आम जनता खुद को वोट कमोडिटी ( सामान ) बनने से बचाएं ।
अखिलेश कुमार
लेखक पटना साइंस कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं, पूर्व में डीएसपी भी रह चुके हैं।
डिस्क्लेमर : ये लेखक के निजी विचार हैं
बहुत खूब सर
आपका विचार बहुत ही अच्छा एवं राष्ट्र पिता महात्मा गांधी के सवराज का के सपना इन विचारों पुरा हो सकता है
धन्नवाद सर।
Rahul