बिहार की राजधानी पटना इन दिनों सूरज की गर्मी के साथ साथ सियासी तपिश को भी खासा महसूस कर रही है। एक तरफ़ सत्ता रूढ़ भाजपा है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्माई नेतृत्व की बदौलत सत्ता में तीसरी बार वापसी के 24 घंटे तैयारी में लगी हुई है तो दूसरी तरफ पिछले साल भाजपा और एनडीए को ठेगा दिखा महागठबंधन की नाव में सवार हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार,जो इन दोनों विपक्षी एकता की धुरी बनने का प्रयास कर रहे हैं। उनकी कोशिशों का क्या नतीजा निकालता है यह तो 23 जून की बैठक के बाद ही पता चलेगा लेकिन पीछले साल सत्ता से बाहर हुई भाजपा ने अपनी सहयोगियों के साथ सीट बटवारे के फॉर्मूले को क़रीब क़रीब तय कर लिया है। जानकारों की माने तो बुधवार को दिल्ली में हुई बिहार के कोर कमेटी की बैठक में गठबंधन के स्वरूप और सीट बटवारे फॉर्मूले को सैद्धांतिक तौर पर तय कर लिया गया है। इस फॉर्मूले को अब बस प्रधानमंत्री के मोहर का इंतजार है। हालांकि पार्टी बाद में भविष्य की जरूरत के अनुसार बदलाव भी कर सकती है।
सूत्र की माने तो कोर कमेटी की बैठक में गठबंधन के स्वरूप को लेकर जो बात हुई है उसके अनुसार भाजपा मौजूदा लोजपा (पारस गुट) के अलावा उनके भतीजे चिराग पासवान के साथ गठबंधन कर सकती है। पार्टी दोनों मे समझौते का भी प्रयास कर रही है। इनके अलावा भाजपा हाल ही में नीतीश कैबिनेट से इस्तीफा देने वाले संतोष सुमन और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के साथ-साथ जदयू से अलग हुए उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी और मुकेश साहनी की विकासशील इंसान पार्टी से भी चुनावी समझौता कर सकती है। भाजपा सूत्र के अनुसार मीटिंग मे इन दलों को दिये जानी वाली सीटों और उनके नामो पर भी चर्चा हुई है। बिहार में बीजेपी 2014 वाला समीकरण बिठना चाहती है जिसके मुताबिक वह खुद 30 सीटों पर लादकर बाकी 10 सीटों में अपने सहयोगी दलों को एडजस्ट कर सकती है।
एलजेपी (दोनों गुट) को लगभग 6 सीट देने पर विचार किया जा रहा है। इसके अलावा जीतन राम माझी की पार्टी हम को 1 सीट, उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी को 3 सीट देने का बीजेपी ने मन बनाया है। वहीं मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी को बीजेपी 1 सीट दे सकती है। फिलहाल सूत्रों के हवाले से जो खबर सामने आई है उसके मुताबिक, बीजेपी कौन-कौन सी सीट अपने सहयोगी दलों को देगी ये संबंधित पार्टियों के उम्मीदवार को देखकर फाइनल किया जाएगा।
कई सांसदों की टिकट कटने की चल रही चर्चा
के अनुसार भाजपा अपने 6 से 7 सांसदों के टिकट काट सकती है तो 3 से 4 सांसदों के सीट बदलने की भी चर्चा चल रही है। टिकट काटने वालों में कई बड़े मंत्री और सांसद भी शामिल है। कुछ सांसदों के टिकट दावेदारी में उनकी उम्र बाधा बन रही हैं तो कुछ की सक्रियता आने आड़े आ रही है। सूत्रों की माने तो जिन सांसदों की टिकट काटे जाने हैं या सेट बदली जानी है उनको आला कमान की तरफ से इशारा कर दिया गया है। आने वाला समय ही बताया कि किन सांसदों को एंटी इनकंबेंसी की काट के नाम पर उनकी बलि ले ली जाएगी और किन को दावेदारी बरकार रहेगी।
नई चेहरो को मिल सकता है मौका
पार्टी जिन सांसदों की टिकट काटेगी उनके बदले किसी नए और युवा चेहरे को लाने की बात कही जा रही है। भाजपा बीट कवर करने वाले वरिष्ठ पत्रकारों के मुताबिक इस बार पार्टी कई नए चेहरों को मौका दे सकती है जिसमें वह जाति और क्षेत्रीय समीकरण साधने के साथ-साथ नई पौध विकसित करने का भी जोर देगी। कई बड़े नामो और कुछ विधायकों के भी चुनाव लड़ने की चर्चा है।
लेखक उद्देश्य ठाकुर / पोस्ट आलोक कुमार