नई दिल्ली 22 जुलाई 2022. देश के 15वें राष्ट्रपति के नाम का हुआ ऐलान। भारत की पहली आदिवासी महिला ‘द्रौपदी मुर्मू’ (Draupadi Murmu) ने बड़ी जीत हासिल कर बनी देश की 15वीं राष्ट्रपति। इसी के साथ द्रौपदी मुर्मू देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बन गई है और देश की दुसरी महिला राष्ट्रपति भी हो गई है। इस बड़ी जीत के साथ वो देश के 15वें राष्ट्रपति के रूप में 25 जुलाई को शपथ लेंगी। उन्होंने 5,77,777 वोटों से जीत दर्ज की है।
देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंचने वाली पहली आदिवासी महिला नेता होंगी। क्योंकि भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब किसी आदिवासी समाज का व्यक्ति भारत के संविधान के इतने बड़े पद पर विराजमान होने वाला है। द्रौपदी मुर्मू ने 1997 में रायरंगपुर नगर पंचायत का पार्षद बनने के साथ अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। NDA उम्मीदवार के रुप में नाम के ऐलान के साथ ही प्रचंड जीत की कयास लगाए जा रहे थे।
द्रौपदी मुर्मू का सफर
द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून साल 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले के उपरबेड़ा गांव में हुआ था। मुर्मू संथाल आदिवासी परिवार से आती हैं। उनके पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू था। वह किसान थे। द्रौपदी मुर्मू की शादी श्याम चरण मुर्मू से हुई थी। दोनों से चार बच्चे हुए। इनमें दो बेटे और दो बेटियां। साल 1984 में एक बेटी की मौत हो गई। इसके बाद 2009 में एक और 2013 में दूसरे बेटे की अलग-अलग कारणों से मौत हो गई। 2014 में मुर्मू के पति श्याम चरण मुर्मू की भी मौत हो गई है। बताया जाता है कि उन्हें दिल का दौरा पड़ गया था। अब उनके परिवार में सिर्फ एक बेटी है। जिनका नाम इतिश्री है।
आदिवासी महिला के नाम पर द्रौपदी मुर्मू को मिला अप्रत्याशित समर्थन
बता दें कि द्रौपदी मुर्मू के नाम का ऐलान भाजपा की ओर से विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा की घोषणा के बाद किया गया था। इसके बाद भी विपक्षी दलों में से कई पार्टियों ने द्रौपदी मुर्मू को समर्थन किया। बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा, अकाली दल, शिवसेना, तेलगु देशम पार्टी समेत कई ऐसे दलों ने द्रौपदी मुर्मू को समर्थन किया, जो एनडीए का हिस्सा नहीं हैं। देश की पहली महिला आदिवासी उम्मीदवार के नाम पर द्रौपदी मुर्मू को यह समर्थन मिला है। यहां तक कि खुद यशवंत सिन्हा का नाम सुझाने वालीं ममता बनर्जी ने भी चुनाव से कुछ वक्त पहले कहा था कि यदि बीजेपी ने हमें उनके नाम के बारे में पहले ही बताया होता तो हम जरूरी विचार करते।
जमकर हुई क्रॉस वोटिंग, विपक्षी एकता चारों खाने चित
द्रौपदी मुर्मू के पास पर्याप्त वोट प्रतिशत था चुनाव जीतने के लिए। फिर भी राष्ट्रपति के चुनाव में जमकर क्रॉस वोटिंग हुई है। भाजपा ने दावा किया है कि 17 विपक्षी सांसदों ने भी क्रॉस वोटिंग की है और द्रौपदी मुर्मू को अपना वोट दिया है। भाजपा का कहना है कि द्रौपदी मुर्मू को 540 सांसदों के वोट मिले हैं। मुर्मू के समर्थन में 17 सांसदों और 104 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है। सबसे ज्यादा असम से 22 विधायकों ने मुर्मू के पक्ष में वोट डाला है। असम से 22, मध्य प्रदेश से 18, महाराष्ट्र से 16,गुजरात और झारखंड से 10, मेघालय से 7,छत्तीसगढ़ और बिहार से 6, गोवा से 4, हिमाचल प्रदेश से 2, अरुणाचल और हरियाणा से 11 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है।