नई दिल्ली 01 मई 2022. भीषण गर्मी के बीच देशभर में बिजली कटौती की समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, स्थिति ये है कि देश के 16 राज्यों में 10 घंटे तक की कटौती चल रही है। और इन 16 में से 12 राज्य बीजेपी शासित है. बिजली कटौती का प्रमुख कारण बिजली उत्पादन की क्षमता का ना होना है. जबकि देश में कच्चे माल यानि कोयले का स्टॉक उपल्बध है जबकि सरकार कोयले की खदानों से कोयले को बिजली के जो उत्पादन के संयंत्र जहाँ लगे हुए हैं, वहाँ तक नहीं पहुंचा पाई ।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रो. गौरव वल्लभ ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि ‘महंगाई फुल, उस पर बत्ती गुल और मोदी जी बोले राज्यों से, सुधारो मेरी भूल’ आज स्थिति ये है कि देश में 72 हजार मेगावाट क्षमता के कोयले के प्लांट बंद पड़े हैं, क्योंकि उसमें कोयला नहीं है और ऐसा नहीं है कि कोयला हमारे देश के कोयलारी में नहीं है, वो वहाँ पड़ा है। पर मोदी जी ने क्या है कि उसको वहाँ पहुंचाने की कोई जरुरत नहीं समझी.
प्रो. गौरव वल्लभ ने केन्द्र सरकार को घेरते हुए कहा कि जब सबको पता है कि अप्रैल में गर्मी आती है, मई में भयंकर गर्मी आती है, तो ये 72,074 मेगावाट के प्लांट को देश के कोयले की आपूर्ति क्यों नहीं की गई? क्यों इन प्लांटों में मात्र 0 से 25 प्रतिशत कोयला, जो स्टॉक होता है, उसका मात्र 25 प्रतिशत से कम कोयला इन प्लांटों में क्यों हैं? देश में जो कोयले की मांग है 22 लाख टन की है। जबकि सप्लाई मात्र 16 लाख टन ही है . ग्रामीण भारत में बिजली की कटौती, जो अर्बन इंडिया है, उससे बहुत ज्यादा है। आधे से ज्यादा उत्तर प्रदेश में मात्र 4 घंटे बिजली आ रही है.
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नें राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ मीटिंग की थी जिसमें प्रधानमंत्री नें राज्यों से तेल के दामों को कम करने का अनुरोध किया था. इस पर बोलते हुए प्रो. गौरव वल्लभ नें कहा कि हर बात की ठीकरा राज्यों पर फोड़ना ठीक नहीं. राज्यों का 78,704 करोड़ रुपए जीएसटी बकाया है। बिजली संकट के लिए पुरी तरह केन्द्र सरकार की नीतियां जिम्मेदार है.