सरकारी बैंकों के निजीकरण की प्रक्रिया तेज, कांग्रेस नें सरकार पर सवाल उठाए

नई दिल्ली 21 अगस्त. इसी माह की 18 अगस्त को भारतीय रिजर्व बैंक RBI ( Reserve Bank Of India ) की रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकारी बैंको के निजीकरण का प्रयास चल रहा है, प्रकरण चल रहा है, उसके बहुत ज्यादा नुकसान होंगे, बहुत उसके दुष्परिणाम होंगे।

रिपोर्ट ( RBI Report ) प्रकाशित होने के कुछ समय बाद आरबीआई ने इस रिपोर्ट का खंडन कर दिया और कहा कि इस रिपोर्ट से संस्था का कोई संबध नहीं.

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा है कि आरबीआई सरकार के भारी दबाव में है और ये पहली बार नहीं है कि आरबीआई को सरकार के दवाब को झेलना पड़ रहा है और उस दबाव के दुष्परिणाम नोटबंदी याद रखिएगा, सबसे बड़ा है। आरबीआई कभी नहीं चाहता था, नोटबंदी हो, सरकार ने नोटबंदी इस देश पर थोपी, आरबीआई के लाख रजिस्टेंस के बावजूद नोटबंदी हुई और परिणाम सबके सामने है। आज भी हम नोटबंदी के कुप्रभाव से उबर नहीं पाए हैं और फिर से एक बार दबाव डाला गया आरबीआई जैसी संस्था पर, जिसको यू टर्न लेना पड़ा अपनी ही रिसर्च रिपोर्ट पर।

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत

बैंकों के निजीकरण की प्रक्रिया वर्तमान सरकार में बढ़ी है. करीब 27 सरकारी बैंक घटकर 12 हो चुके हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि इफेक्टिवनेस, एफिकेसी, एफिसिएंसी के तौर पर अगर सरकारी बैंको को आंकना है, तो ये देखना पड़ेगा कि सरकारी बैंक सिर्फ लाभ कमाने के लिए नहीं हैं। वो एजेंट्स ऑफ चेंज हैं, एजेंट्स ऑफ ग्रोथ हैं, एजेंट्स ऑफ डेवलपमेंट है।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने टविट के जरिए कहा है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या पहले ही 27 से घटकर 12 हो गई है। सरकार का प्लान और कम करके शायद सिर्फ़ 1 करने का है।

देश में सरकारी बैंको की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है. हर भारतीय तक बैंकिंग पहुंचाने का काम सरकारी बैंको ने किया है। प्रायोरिटी सेक्टर लैंडिंग, जहाँ से प्राईवेट बैंक किनारा करते हैं, दूर भागते हैं, वो सरकारी बैंकों ने किया है। खेतिहर, मजदूर, किसानों सबको ऋण पहुंचाने का काम सरकारी बैंको ने किया है, इंफ्रास्ट्रक्चर लैंडिंग का काम सरकारी बैंक करते हैं.

कांग्रेस प्रवक्ता नें कहा इंदिरा गांधी एक दूरदर्शी नेता थीं, उन्होंने बैंकिंग की मनोपॉली को तोड़ने की हिम्मत दिखाई थी। उन्होंने जब बैंको का राष्ट्रीयकरण हुआ, तो उसका सोल एम (Aim) था कि कुछ लोगों के हाथ से पैसा निकालकर गरीब, गुरबत, किसान, खेतिहर मजदूर तक पहुंचाया जाए। पहले लैंडिंग सिर्फ सेलेक्ट बिजनेस हाउसेस को और कुछ ही लोगों को होती थी, बैंक नेशनलाईजेशन के बाद लैंडिंग और बैंकिंग का जो काम है, वो अंतिम पंक्ति के व्यक्ति तक पहुंचा और इसलिए एक जमाने में आरबीआई कहता था कि 1947 के बाद, आजादी के बाद, आजाद हिंदुस्तान में बैंक राष्ट्रीयकरण एक सबसे महत्वपूर्ण कदम है। आज उसी आरबीआई को सरकार के दबाव में अपने रिसर्चर की रिपोर्ट से किनारा करना पड़ रहा है।

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