आज सुबह 10 बजे पटना के राजभवन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने कैबिनेट का विस्तार किया। सहरसा की सोनबरसा राज सुरक्षित सीट से जेडीयू के विधायक रत्नेश सदा ने मंत्री पद की शपथ ली। हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जितनराम मांझी के बेटे संतोष सुमन के इस्तीफा के बाद खाली हुई सीट को भरने के लिए जदयू कोटे से रत्नेश सदा को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई। राजभवन के दरबार हॉल में उन्होंने मंत्री पद की शपथ ली। राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने उन्हें पद की गोपनीयता की शपथ दिलाई।
संतोष सुमन नीतिश की महागठबंधन सरकार मे जदयू कोटे से ही मंत्री थे। वह कैबिनेट में अनुसूचित जाति-जनजाति कल्याण विभाग के मंत्री थे। उनके किसी के बाद खाली हुई सीट को भरने के लिए जदयू ने उनके काट के रूप में रत्नेश को मंत्री पद से नवाजा है और अब वही विभाग सौंप कर जातीय गणित बिठाने का प्रयास किया है। शपथ की औपचारिकताओं के बाद राजभवन से जारी प्रेस नोट के मुताबिक रत्नेश को संतोष मांझी द्वारा देखे जा रहे अनुसूचित जनजातीय कल्याण विभाग सौंप दिया गया है।
रत्नेश सदा 2010 में पहली बार सोनबरसा राज सुरक्षित सीट से जेडीयू के टिकट पर विधायक बने थे। वह लगातार तीन बार से इस सुरक्षित सीट का प्रतिनिधत्व कर रहे है। हालांकि वह पहली बार मंत्री बने। राजनितिक हलकों में उनको संतोष सुमन का रिप्लेस्मेंट माना जा रहा है क्योंकि वो भी महादलित समुदाय से आते हैं। ऐसा माना जाता है की रत्नेश सदा की अपनी क्षेत्र में काफी पकड़ है।
1987 से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत करने वाले रत्नेश बेहद ही गरीब परिवार में पैदा हुए थे। उनके पिता रिक्शा चलाने का काम करते थे। रत्नेश भी पहले रिक्शा चलाते थे। जदयू के महादलित प्रकोष्ठ के अध्यक्ष रत्नेश के चुनावी हेल्पलाइन के मुताबिक घोषणा तक है और उन्होंने संस्कृत में आचार्य की डिग्री हासिल की हुई है। वह 1.30 करोड़ की चल-अचल संपत्ति के मालिक है। 2020 में दाखिल हलफनामे के मुताबिक़ उन पर किसी तरह का कोई भी आपराधिक केस नहीं है।
जल्द हो सकता है एक और विस्तार
आज के मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के साथ कई और मंत्री भी कार्यकम मे शामिल हुए थे। समारोह में राजद और कांग्रेस के भी संभावित मंत्री राजभवन में दिख रहे थे, लेकिन पूर्व की घोषणा के अनुसार जदयू के विधायक रत्नेश सदा को सिर्फ पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई गई। राजद-कांग्रेस के नामों की घोषणा नहीं होने के कारण माना जा रहा है कि अब 23 जून को विपक्षी एकता के लिए पटना में होने वाली बैठक के बाद एक बार फिर बिहार मंत्रिमंडल का विस्तार हो सकता है। संभावित मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलें को तब और बल मिला जबप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने मीडिया से करते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में एक कैबिनेट विस्तार की जरूरत है। लंबे समय से उनकी पार्टी दो और मंत्री बनाने की मांग कर रही है।
लेखक उद्देश्य ठाकुर / पोस्ट आलोक कुमार