समर्थन मूल्य का वादा, झूठ का पुलिंदा, एमएसपी खत्म करने की साजिश – कांग्रेस

रणदीप सिंह सुरजेवाला

नई दिल्ली. केन्द्र सरकार ने वर्ष 2022-23 के लिए रबी फसलों का समर्थन मूल्य निर्धारित कर दिया है. किसान आंदोलन के मध्यनजर सरकार की यह घोषणा काफी अहम मानी जा रही है. वही प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस नें सरकार द्वारा जारी समर्थन मूल्य को किसानों के साथ धोखा करार दिया है. गौर करने वाली बात यह है कि रबी की प्रमुख फसल गेंहू पर 40 रुपयें की बढ़ोतरी की गई है यानि अब 2015 रुपयें प्रति क्विटल गेंहू का समर्थन मूल्य होगा.

कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला नें प्रेस कांफ्रेस कर सरकार पर आँकड़ो के साथ पलटवार किया. उन्होनें कहा कि,

किसान को लूटने वाली पाखंडी और पापी मोदी सरकार के पाप का घड़ा अब भर गया है। ऐसा लगता है कि मोदी सरकार किसानों को धोखा देने के लिए ही जन्मी है। मोदी सरकार की अब तक जितनी तथाकथित किसान हितैषी योजनाएं हैं, वो बुनियादी रूप से अपने मुट्ठीभर पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने तक सीमित रखी गई हैं। चाहे वो प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना हो, चाहे 25,000 रु. प्रति हेक्टेयर खेती की अतिरिक्त लागत बढ़ाई गई हो,जमीन हड़पने के अध्यादेश हों या 2015 में सुप्रीम कोर्ट में दिया गया शपथपत्र हो, जिसमें कह दिया गया कि अगर लागत का 50 प्रतिशत ऊपर किसानों को समर्थन मूल्य दिया गया तो बाजार खराब हो जाएगा। मोदी सरकार आज भी अपनी उसी नीति पर काम कर रही है। हाल ही में 2022-23 के रबी फसलों के समर्थन मूल्य की घोषणा भी धोखे की इसी कड़ी का एक हिस्सा है।

किन किन फसलों का समर्थन मूल्य बढ़ा

2014 के आम चुनाव में किसानों की आय वृद्धि एक प्रमुख चुनावी मुद्दा था और बीजेपी नें किसानों की आय वृद्दि को लेकर 2022 तक लक्ष्य निर्धारित किया था पर वर्तमान में जो समर्थन मूल्य की वृद्धि की है उसे कई संगठन नाकाफी बता रहे है. एक सर्वे के मुताबित खेती में लागत बढ़ने के कारण किसान का मुनाफा बहुत कम हो गया है. पिछले 7 वर्षों में 25 हजार रुपये तक प्रति हेक्टेयर लागत बढ़ गई है. इसके आलावा डीज़ल के मूल्य में लगातार बढ़ोतरी, कीटनाशक और खाद पर जीएसटी ( 12 से 28 फिसदी) होने के कारण लागत लगातार बढ़ रही है.

फसलों का नया समर्थन मूल्य

समर्थन मूल्य पर 2020-21 में कितनी खरीद हुई ?

मानसून सत्र में 03 अगस्त को कृषि मंत्रालय ने लोकसभा में जानकारी दी कि 2020-21 में 2,10,07,563 किसानों से समर्थन मूल्य पर खरीदी की गई है, जबकि देश में कृषि सेंसस के आधार पर 14,65,00,000 किसान हैं 

नीचे दी गई टेबल से समझ सकते है कि कितना उत्पादन हुआ और कितनी खरीद हुई.

सरकार ने लोकसभा में जानकारी दी

समर्थन मूल्य को लेकर कांग्रेस पार्टी हमलावर रूख अपना रही है और सरकार को उन्हीं के आँकड़ो पर सवाल कर रही है. सुरजेवाला ने कहा कि किसान को मोदी-नाथन नहीं, मेहनत की कीमत चाहिए। अगर मोदी सरकार ने अन्नदाता से षंडयंत्र बंद नहीं किया तो आने वाली पीढि़यां भाजपा को माफ नहीं करेंगी।

2006 से 2022 तक मूल्य वृद्धि चार्ट

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