प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी 6 दिनों की अमेरिका और मिस्त्र की यात्रा के दूसरे चरण में शनिवार को मिस्त्र पहुँचे। प्रधानमंत्री का दो दिन का मिस्त्र दौरा आज संपन्न हो गया । आज प्रधान मंत्री मोदी और मिस्त्र के राष्ट्रपति अल-सिसी ने साइबर सुरक्षा, सूचना प्रौद्योगिकी, प्रसारण, स्वास्थ्य और शिक्षा से जुड़े कई समझौतों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। काहिरा के राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में, मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को प्रतिष्ठित ‘ऑर्डर ऑफ द नाइल’ से सम्मानित किया, जो मिस्त्र का सर्वोच्च सम्मान है। पीएम मोदी ने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान मिस्र और फिलिस्तीन में बहादुरी से जंग लड़ने और अपने प्राणों का बलिदान देने वाले भारतीय सैनिकों को काहिरा के हेलियोपोलिस राष्ट्रमंडल युद्ध कब्रिस्तान जाकर श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काहिरा में प्राचीन अल-हकीम मस्जिद का दौरा भी किया। 11वीं शताब्दी की इस मस्जिद का जीर्णोद्धार भारत के दाऊदी बोहरा समुदाय की सहायता से किया गया था। यात्रा के अंतिम पड़ाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समकक्ष मैडबौली के साथ गीज़ा में पिरामिडों का भ्रमण किया।
दौरे के पहले दिन भारतीय प्रधानमंत्री का उनके समकक्ष मुस्तफा मैडबौली ने हवाई अड्डे पर शानदार स्वागत किया। पीएम मोदी ने गार्ड ऑफ ऑनर का भी निरीक्षण किया। प्रधान मंत्री ने अपने समकक्ष मैडबौली के नेतृत्व में मिस्र मंत्रिमंडल की भारतीय इकाई के साथ एक गोलमेज चर्चा में भाग लिया। विदेश मंत्रालय के अनुसार चर्चा वाणिज्य, टिकाऊ ऊर्जा, प्रौद्योगिकी, फार्मास्यूटिकल्स और पारस्परिक सम्बंधों जैसे कई क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने पर केंद्रित थी। शनिवार को पीएम मोदी ने मिस्त्र के ग्रैंड मुफ्ती शॉकी इब्राहिम से मुलाकात की वहीं प्राइममिनिस्टर मोदी ने काहिरा में भारतीय समुदाय के सदस्यों से मुलाक़ात की। पीएम मोदी ने मिस्र के प्रसिद्ध लेखक तारेक हेग्गी, व्यवसायी हसन अल्लम, योग चिकित्सक नाडा एडेल और रीम जाबक से भी मुलाकात की। यात्रा संपन्न होने के पश्चात प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया “मेरी मिस्र यात्रा ऐतिहासिक थी। इससे भारत-मिस्र सम्बंधों में नई ताकत आएगी और हमारे देशों के लोगों को लाभ होगा। मैं राष्ट्रपति अल सीसी सरकार और मिस्र के लोगों को उनके स्नेह के लिए धन्यवाद देता हूं”
प्रधानमंत्री की मिस्त्र यात्रा क्यों है ख़ास?
विश्लेषकों का कहना है कि यह यात्रा दोनों देशों के लिए संभावित “गेम चेंजर” हो सकती है, क्योंकि मिस्र पश्चिमी के देशो से परे अपनी साझेदारी में विविधता लाना चाहता है और भारत वैश्विक दक्षिण की आवाज के रूप में अपनी स्थिति मजबूत करना चाहता है। भारत उत्तरी अफ़्रीका क्षेत्र और मध्य पूर्व तक गहरी पहुँच बनाना चाहता है। इस यात्रा को “गेम चेंजर” इसलिए भी माना जा रहा है क्योंकि इससे मिस्र में भारत के निवेश को बढ़ावा मिलेगा और ब्रिक्स आर्थिक ब्लॉक में मिस्र के प्रवेश का मार्ग प्रशस्त होगा।
यह एक ऐतिहासिक यात्रा इसलिए है क्योंकि एक भारतीय प्रधान मंत्री ने 26 वर्षों में पहली बार मिस्र की द्विपक्षीय यात्रा की है। गौरतलब है कि भारत ने जनवरी 2023 में गणतंत्र दिवस पर मिस्त्र के राष्ट्रपति अल-सिसी को गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया था। इसके बाद राष्ट्रपति अल सीसी ने प्रधानमंत्री मोदी को मिस्त्र आने का न्योता दिया था। एल-सिसी को सितंबर में जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए भारत की यात्रा के लिए आमंत्रित किया गया है, जहाँ मिस्र विशेष अतिथि के रूप में भाग लेगा।
लेखक रितिक झा / पोस्ट आलोक कुमार